पेशाब निकालने वाली नली मेडिकेटेड और नॉन-मेडिकेटेड इन दो प्रकार के मटीरियल से बनती है, पेशाब निकालने वाली नली को यूरिनरी कैथेटर के नाम से भी जाना जाता है जो की एक अंग्रेजी का शब्द है। अगर हमको इसका लम्बे समय के लिए इस्तेमाल करना हो तो मटीरियल मेडिकेटेड से बनी कैथेटर का प्रयोग किया जाता है। ये व्यक्ति के मूत्राशय से पेशाब को बाहर की तरफ ले जाता है इसको सिलिकॉन बेस्ड कहा जाता है। इसको जरूरत के हिसाब से ही मरीज के यूरेथ्रा में लगाया जाता है, इसकी जरूरत जब खत्म हो जाती है तो इस को हटा दिया जाता है और इस को पेशाब के रास्ते का प्रयोग करके ही लगाया जाता है।
अब ये सवाल सभी के मन में जरूर होता है की आखिर क्या वजह जो पेशाब निकालने वाली नली की जरूरत पड़ती है। ऐसी कौन सी स्थिति है, जिसमें इसका इस्तेमाल किया जाता है, आइये जानते हैं।
पेशाब निकालने वाली नली की जरूरत क्यों है।
यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन
आज के समें में कई लोग यूटीआई की समस्या से लड़ रहे हैं, अगर इसका इलाज सही सयम पर नहीं किया जाता है तो ये और भी ज्यादा घातक हो सकती है। अगर बात करें तो यूटीआई के ज्यादातर मामलों में एंटीबायोटिक की मदद लेकर इंफेक्शन को अच्छे तरीके से खत्म कर दिया जाता है। असल में यूटीआई का मतलब होता है, की मूत्रमार्ग में इन्फेक्शन का होना। अगर इसका इलाज नहीं किया गया तो ये इंफेक्शन शरीर के और भागों में भी फैल सकती है। इस तरह की कंडीशन में बैक्टीरिया मूत्रमार्ग से गुजरते हुए हमारे ब्लैडर तक पहुंच जाता है, और ध्यान रहे ये की यह इंफेक्शन किडनी तक भी अपनी पहुंच कर सकता है। इस समस्या में जब यह इंफेक्शन काफी ज्यादा फैल जाता है, तो मरीज को पेशाब करते वक्त काफ़ी कठिनाइयां आती हैं। इस तरह की कंडीशन में पेशाब निकालने वाली नली की आवश्यकता पड़ती है।
मूत्राशय में कमजोरी
मूत्राशय की नर्व को नुकसान होना, सर्जरी और पेशाब करने में मुश्किल होना आदि यह मूत्राशय में कमजोरी के कारण हो सकते है और इस तरीके की कंडीशन में ही मरीज को पेशाब निकालने वाली नली को लगया जाता है। इसके लगाने के साथ साथ ही मरीज का इलाज़ किया जाता है, इसके बाद जैसे ही मरीज को आराम और रिकवरी होने लगती है तो पेशाब की नली को हटाने की सम्भावना भी बढ़ जाती है। इसको निकालना कब है इसका फैसला डॉक्टर ही करते हैं।
मूत्राशय में पथरी
आम तोर पर कई बारी पेशाब की नली में पथरी बनने के कारण, मरीज को पेशाब करने मैं काफी ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है, ऐसी सिथिति में मूत्राशय में पथरी होने के कारण मूत्रमार्ग ब्लॉक हो जाता है, जीसे की मरीज का स्वास्थ्य और भी बिगड़ जाता है। इस लिए डॉक्टर जरूरत के अनुसार ही मूत्राशय को खाली करने के लिए पेशाब निकालने वाली नली का इस्तेमाल करते हैं। इसके कारण ब्लैडर समय पर खाली होता रहता है और साथ ही मरीज का इलाज चलता है, ताकि मूत्राशय में मौजूद पथरी को हटाया जा सके और मूत्रमार्ग को खाली करने में आसानी हो।
ब्लैडर कैंसर
ऐसी कई समस्या होती है जैसे की ब्लैडर कैंसर या ब्लैडर से जुड़ी जिसमें पेशाब निकालने वाली नली का इस्तेमाल किया जाता है। पेशाब निकालने वाली नली के प्रयोग से कीमोथेरेपी की दवाइयों को सीधा ब्लैडर तक पहुंचाया जाता है। इस विधि का प्रयोग कब होता है जब मूत्राशय कैंसर के लिए इंट्रावेसिकल इम्यूनोथेरेपी असफल हो जाती है, ये भी एक ब्लैडर कैंसर का इलाज करने का तरीका है।
निष्कर्ष :
अगर आपको भी मूत्राशय से संबंधित कोई ऐसी समस्या है, जिसकी वजह से आपको पेशाब करने में काफी कठिनाई होती है, या फिर आप किडनी स्टोन जैसी किसी बड़ी परेशानी से जूझ रहें हैं और आप इसका इलाज ढूंढ रहें हैं या फिर इसके बारे में जानकारी लेना चाहते हैं तो आप खोसला स्टोन किडनी और सर्जिकल सेंटर में जाकर अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते हैं और अपना सही इलाज और इसके विशेषज्ञों से जानकारी ले सकते हैं।