हर्निया पेट के अंदर होने वाली एक टिश्यू की वृद्धि होती है, जो पीड़ित व्यक्ति के लिए गंभीर दर्द होने का कारण बनती है | कई मामलों में हर्निया के आपातकालीन स्थिति में इलाज करवाने की आवश्यकता पड़ सकती है | आइये जानते है हर्निया क्या होता है, इसके मुख्य लक्षण, कारण के बारे में विस्तारपूर्वक से :-
हर्निया क्या होता है ?
हर्निया की समस्या तब उत्पन्न होती है जब पेट के कोई अंदरूनी अंग या फिर भाग, पेट में मांसपेशी, टिश्यू या फिर छोटी आंत, पेट के कमज़ोर हिस्से को छेद करके उससे बाहर की ओर निकल आती है | हर्निया आमतौर पर पीड़ित व्यक्ति के नाभि के आसपास और चरों तरफ किसी भी हिस्से में उत्पन्न हो सकता है | इसके अलावा यह जांघ के ऊपरी हिस्से में, पेट के बीच में और ग्रोइन क्षेत्र में भी उत्पन्न हो सकता है | हालांकि हर्निया कोई आपातकालीन स्थिति नहीं है, लेकिन यदि इस समस्या का सही समय पर इलाज न किया जाये तो इससे पीड़ित व्यक्ति के लिए जानलेवा साबित भी हो सकता है |
हर्निया अक्सर पेट के दाहिनी ओर पर और नाभि के आसपास विकसित होती है | दरअसल हर्निया जोरदार मेहनत वाला काम करने से, अधिक दबाव पड़ने से और गर्भावस्था के दौरान विकसित होता है | उम्र बढ़ने के साथ-साथ मरीज़ों में हर्निया की शिकायत होने की संभावना सबसे अधिक होती है | इसके अलावा नवजात शिशुओं में भी हर्निया होने का खतरा होता है | आइये जानते है हर्निया कितने प्रकार के होते है :
हर्निया कितने प्रकार के होते है ?
हर्निया के प्रकार निम्नलिखित है :-
- इनगुइनल हर्निया :- यह हर्निया का एक आम प्रकार है, जो आमतौर पर कमर में विकसित होता है | यह तब उत्पन्न होता है, जब पेट का अंदरूनी अंग जैसे की आंत, पेट की कमज़ोर मांसपेशियों के कारण बाहर निकाल जाता है, इस स्थिति को इनगुइनल हर्निया कहा जाता है | आइये जानते है इसके होने के मुख्य लक्षण क्या है :-
- कमर में सूजन या फिर गांठ का उत्पन्न होना |
- अंडकोष के आकार का बढ़ना
- गांठ का अक्सर तब उत्पन्न होना, जो आप की वजनदार वस्तु को उठाते हो लेकिन लेटते ही वह गांठ गायब हो जाती है |
- पीड़ित व्यक्ति के कमर में वृषणकोष में उभार आना, जो दर्द रहित हो सकता है, लेकिन बड़ा होने पर, इससे मरीज़ को असुविधा होने का अनुभव भी हो सकता है आदि |
- इंसिज़नल हर्निया :- सर्जिकल चीरा पेट की मांसपेशियां के साथ अखंडता से समझौता कर लेते है, जिसकी वजह से वह बहुत कमज़ोर हो जाते है और पेट की ऊतकों से अंदरूनी अंगों को अधिक आसानी से बाहर निकलने की अनुमति मिल जाती है | आइये जानते है इंसिज़नल हर्निया होने के मुख्य लक्षण क्या है :-
- पेट के सामने की तरफ उभर का उत्पन्न होना
- सीधे खड़े रहने पर या फिर कोई भारी सामान उठाने पर उभार का अधिक नज़र आना आदि |
- फेमोरल हर्निया :- यह तब उत्पन्न होता है, जब कमर या फिर जांघ की अंदरूनी मांसपेशियों की कमज़ोर परत से ऊतकें, उस दीवार में जगह बनकर बाहर की तरफ निकाल जाती है | फेमोरल हर्निया होने के मुख्य लक्षणों में शामिल है :-
- कमर या फिर जांघ के अंदरूनी हिस्से में गांठ या फिर उभर का नज़र आना
- कमर में दर्द के साथ-साथ खिंचाव का पड़ना
- जी मिचलाना या फिर उल्टी होना
- अचानक से तीव्र दर्द होने का अनुभव होना
- खड़े होने, भारी सामान उठाने या फिर अधिक जोर लगाने से दर्द और तकलीफ का बढ़ना आदि |
- अम्बिलिकल हर्निया :- यह हर्निया तब उत्पन्न होता है, जब पेट की मांसपेशियों में नाभि के पास मौजूद छेद खुल जाता है और उस में से आंत का हिस्सा, वसा या फिर तरल पदार्थ बाहर की तरफ निकल जाता है | इसकी वजह से एक असामान्य तरह का उभार उत्पन्न होता है, जिससे नाभि पर देखा या फिर महसूस किया जा सकता है | अम्बिलिकल हर्निया होने के मुख्य लक्षणों में शामिल है :-
- नाभि के पास एक नरम सूजन या फिर उभार का उत्पन्न होना
- उभार का रंग लाल, गहरा, बैंगनी या फिर दृढ़ दिखाई देना
- उभार का केवल तब नज़र आना, जब पार्ट में अत्यधिक दबाव पड़ता है या फिर कोई वजनदार वस्तु उठाने से |
- मल के साथ खून का आना
- समुद्री बीमारी का होना या फिर उल्टी होना आदि
- हायटल हर्निया :- यह हर्निया एक चिकित्सा स्थिति होती है, जिसमें ऊतकें पेट के ऊपरी हिस्सा डायफ्राम में मौजूद छेद होकर छाती के ऊपरी हिस्से की ओर धकेल दिया जाता है | आइये जानते है हायटल हर्निया के मुख्य लक्षण क्या है :-
- सीने में जलन होने के अनुभव होना
- नॉनकार्डियक सीने में दर्द होना
- कुछ भी निगलने में परेशानी होनी
- डकार का आते रहना और उल्टी होना
- जी मिचलाना
- सांस लेने में दिक्कत होना आदि |
- पेरिनियल हर्निया :- यह हर्निया पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों के कमज़ोर होने की वजह से उत्पान एक स्थिति होती है, जिसमें पेट का अंग या फिर ऊतक, गूदे के आसपास हिस्से में बाहर की तरफ निकल जाता है | पेरिनियल हर्निया होने के मुख्य लक्षणों में शामिल है |
- पेरिनियल हिस्से में उभार का नज़र आना
- अधिक समय तक खड़े रहने और ज़ोर लगाने पर उभर का नज़र आना
- श्रोणि में तीव्र दर्द या फिर बेचैनी होने का अनुभव होना
- एक नितंब में उत्पन्न हुआ सूजन
- पेशाब करने में मुश्किल होना
- छोटी या फिर बड़ी आंतों में रुकावट होना आदि |
हर्निया होने के मुख्य कारण क्या है ?
हर्निया होने के मुख्य कारण निम्नलिखित है :-
- कब्ज़ की समस्या का रहना
- खांसी का लगातार होना
- गर्भावस्था के दौरान
- समय से पहले बच्चे का जन्म होना या फिर कम समय में बच्चे का जन्म होना
- अनुवांशिक कारणों से
- उम्र बढ़ने के साथ-साथ हर्निया की समस्या हो सकती है |
- धूम्रपान और शराब जैसे नशीले पदार्थ
- वजनदार सामान का उठाना आदि |
हर्निया का कैसे किया जाता है इलाज ?
हर्निया का इलाज दो प्रकार की सर्जिकल प्रक्रियाओं के माध्यम से किया जाता है, जो है ओपन सर्जरी और लैप्रोस्कोपी सर्जरी | ओपेरन सर्जरी में सर्जन पेट में बड़ा सा चीरा लगाकर सर्जिकल की प्रक्रिया को करता है, जिसे हर्निया का इलाज किया जाता है, इसके विपरीत लैप्रोस्कोपी सर्जरी में सर्जन सर्जिकल की प्रक्रिया को करने के लिए पेट में केवल छोटा-सा कट लगता है और फिर हर्निया का इलाज करता है | अधिकतर लोग ओपन सर्जरी के मुकाबले लैप्रोस्कोपी सर्जरी को करवाने का चयन सबसे अधिक करते है, ऐसा इसलिए क्योंकि लैप्रोस्कोपी सर्जरी को करवाने के बाद हर्निया के दोबारा से उत्पन्न होने की संभावना न के बराबर हो जाती है और सर्जरी के करीब 48 घंटे बाद मरीज़ अपने रोज़ाना जीवन शैली में वापिस चला जाता है |
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