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दरअसल, आज के समय में ऐसे कई लोग हैं, जो पित्त की पथरी की समस्या का सामना कर रहे हैं। आपको बता दें, कि गॉलस्टोन्स जिसे डॉक्टरी भाषा में पित्ताशय की पथरी भी कहा जाता है। दरअसल, हमारे गाल ब्लैडर में ठोस चीजें बनती हैं, जिससे पित्ताशय में पथरी का निर्माण होता है। आपकी जानकारी के लिए आपको बता दें, कि पित्ताशय लिवर के नीचे मौजूद एक छोटा सा ऑर्गन होता है, जो आम तौर पर पित्त को स्टोर करने में काफी ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका को निभाता है। दरअसल, पित्ताशय की पथरी का आकार और संरचना काफी ज्यादा अलग-अलग होती हैं, जिसकी वजह से एक व्यक्ति को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। आम तौर पर, कई लोगों को पित्ताशय की पथरी का किसी भी तरह का कोई लक्षण महसूस नहीं होता है और जबकि कुछ लोगों को इसकी वजह से पेट में तेज दर्द, मतली, उल्टी और पीलिया जैसे कई दर्दनाक लक्षणों का अनुभव हो सकता है।
आम तौर पर, पित्ताशय की पथरी का आकार रेत के छोटे दानों से लेकर कंकड़ जैसे बड़े स्टोन तक हो सकता है। इसलिए, ये बहुत ही ज्यादा जरूरी हो जाता है, पित्ताशय की पथरी और इसके लक्षणों के बारे में समझना, ताकि इसका इलाज समय पर किया जा सके और इसके गंभीर लक्षणों से बचा जा सके। आपको बता दें, कि इसकी वजह से पैंक्रियाटाइटिस (अग्नाशयशोथ) जैसी एक तेज़ और बहुत दर्दनाक बीमारी भी हो सकती है। इसके अलावा, इसकी वजह से कुछ मरीजों में गाल ब्लैडर कैंसर जैसी समस्या भी हो सकती है। अब इस दौरान, कई लोगों के मन में सवाल उठता है, कि आखिर पित्ताशय की पथरी का कौन सा आकार सबसे ज्यादा खतरनाक होता है? तो 8 मिमी या फिर इससे ज्यादा बड़ी आकार की पथरी सबसे ज्यादा खतरनाक साबित हो सकती है। आइये इस लेख के माध्यम से इसके डॉक्टर से इसके बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करते हैं।
पित्ताशय के लक्षण
दरअसल, हर व्यक्ति में पित्ताशय की पथरी के लक्षण काफी अलग-अलग हो सकते हैं। आम तौर पर, जिस में निम्नलिखित लक्षण शामिल हो सकते हैं, जैसे कि
- अपच जैसी समस्या होना और सीने में जलन होना।
- मतली और उल्टी जैसा अनुभव होना।
- बुखार और बहुत ही ज्यादा ठंड लगना।
- पीड़ित व्यक्ति का पेट फूलना और गैस बनना।
- एक व्यक्ति के पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से या फिर मध्य भाग में काफी ज्यादा दर्द होना
आपको बता दें, कि कभी-कभी लोगों द्वारा इन लक्षणों को एसिड पेप्टिक बीमारी समझ कर अनदेखा कर दिया जाता है और ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है। आम तौर पर, हालांकि कुछ गंभीर मामलों में पित्ताशय की पथरी संक्रमण का कारण बन सकती है, दरअसल, जिसकी वजह से सेप्सिस जैसी समस्या होने की संभावना काफी ज्यादा रहती है। इसलिए, इसके लक्षणों की पहचान कर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना महत्वपूर्ण होता है।
पित्ताशय की पथरी के प्रकार
असल में, पित्ताशय की पथरी के तीन प्रकार होते हैं, जिस में कोलेस्ट्रॉल पथरी, वर्णक पथरी और मिश्रित पथरी शामिल होती है।
पित्ताशय की पथरी का कौन सा आकार होता है सबसे ज्यादा खतरनाक?
आपको बता दें, कि पित्ताशय की पथरी के संभावित खतरे को निर्धारित करने में पित्ताशय की पथरी का आकार एक महत्वपूर्ण भूमिका को निभाता है। दरअसल, जो पथरी 1 सेंटीमीटर से ज्यादा व्यास वाली होती है, उस से जटिलताएं होने की संभावना काफी ज्यादा होती है। हालांकि, पित्ताशय की पथरी से जुड़े सभी जोखिम इसके आकार पर ही निर्भर करते हैं।
दरअसल, रोकथाम उपायों के लिए खतरनाक पथरी के आकार के बारे में जानकारी प्राप्त करना बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। आपको बता दें, कि 5 मिमी से भी छोटी पित्ताशय की पथरी बिना किसी समस्या के पित्त नलिकाओं से बाहर निकल जाती है, पर इसके साथ ही 8 मिमी से भी बड़ी पथरी एक व्यक्ति के लिए चिंता का कारण बन सकती है, क्योंकि यह नलिकाओं में रुकावट पैदा कर सकती है, या फिर उनको बंद कर सकती है।
इसके इलावा पित्ताशय की बड़ी पथरी जो पित्ताशय की दीवार में सूजन जैसी समस्या का उत्पादन करती है, जिससे कि लंबे समय में गॉलब्लैडर कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए, छोटे आकार की पथरी में बेशक डॉक्टर के पास न जाएं, पर 8 मिमी या फिर इससे ज्यादा आकार वाली पथरी के लिए तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए, ताकि इससे होने वाली गंभीर समस्याओं से बचा जा सके।
निष्कर्ष: लोगों में पित्ताशय की पथरी होना एक बहुत ही आम बात हो गयी है। पित्ताशय की पथरी का खतरा, इसके आकार पर निर्भर करता है। 8 मिमी या फिर इससे ज्यादा बड़ी पथरी का आकार सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है, जिससे कि कैंसर जैसी बड़ी बिमारिओं का खतरा काफी ज्यादा बढ़ सकता है। इस तरह की समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना महत्वपूर्ण होता है, ताकि गंभीर समस्याओं से बचाव किया जा सके। अगर आपको भी इसके बारे में ज्यादा जानकारी या फिर अगर आपको भी पित्ताशय की पथरी की कोई समस्या है और आप इसका समाधान चाहते हैं, तो आप आज ही खोसला स्टोन किडनी एंड सर्जिकल सेंटर में जाकर इसके विशेषज्ञों से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।













